कालसिण और छुरमल देवता के मंदिर आमने-सामने क्यों होते हैं?

कालसिण और छुरमल देवता के मंदिर आमने-सामने क्यों होते हैं? Posted By: Suresh Pandey 📲8923613682  उत्तराखंड की सोर घाटी और कत्यूर घाटी में छुरमल बहुत से गांवों के इष्टदेव हैं. छुरमल के पिता का नाम कालसिण है. कालसिण को ही कालचिन या कालछिन भी कहा जाता है. कालसिण को मां कालिका का पुत्र माना जाता है. पिता और पुत्र का संबंध होने के बावजूद कालसिण और छुरमल के मंदिर कभी भी एक साथ नहीं बनाये जाते हैं बल्कि हमेशा आमने-सामने ही बनाये जाते हैं. कालसिण की पत्नी हयूंला थी और कालसिण स्वयं इंद्र के दीवान हुआ करते थे. जब कालसिण कई वर्षों तक इंद्र की सभा में रहे उसी बीच उनकी पत्नी हयूंला सूर्य की किरण पड़ने से गर्भवती हो गयी थी. जिसके बाद हयूंला को उसके घर से निकाल दिया गया और कालसिण हमेशा के लिए इंद्र की सभा में रहने लगे. हयूंला ने कठिन परिस्थितियों में अपने पुत्र छुरमल को जन्म दिया. हयूंला ने अपने पुत्र छुरमल को बताया कि उसके पिता कालसिण इंद्र की सभा में दीवान हैं. बालक छुरमल अपने पिता के पास इंद्र की सभा में पहुंचा. कालसिण ने अपने पुत्र के रक्त संबंध की कई बार कठोर परीक्षा ली. छु...