ज्वाड़ : ज्वाड़ का अर्थ 'स्त्रीधन

ज्वाड़ : ज्वाड़ का अर्थ 'स्त्रीधन' यह गढ़वाल मंडल के उ.का. जनपद में यमुना के तटवर्ती क्षेत्र जौनपुर की एक पराम्परागत सामाजिक प्रथा है। जिसके अनुसार विवाह के समय लड़की को स्त्रीधन के रूप में जो नकद धनराशि प्राप्त होती है तथा माता-पिता के द्वारा उसकी व्यक्तिगत सम्पत्ति के रूप में जो पशुधन- गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी आदि, दिये जाते हैं उसे 'ज्वाड़' कहा जाता है यह उसकी व्यक्तिगत सम्पत्ति होती है और उस पर उसके ससुराल वालों को कोई अधिकार नहीं होता है। उसे वह चाहे तो अपने मायके में ही रख सकती है और चाहे तो ससुराल में भी ले जा सकती है। इसको अथवा उससे प्राप्त आय को व्यय करने का अधिकार केवल उसी को होता है। आवश्यकता पड़ने पर यदि उसका पति या कोई अन्य व्यक्ति उसकी ज्वाड़ की पूंजी से धन उधार लेता है तो उसे उसको ब्याज सहित लौटाना होता है।

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